खुशी की बात











{दिसम्बर 12, 2006}   हाय.. मेरा पृथ्वीराज

क्या सोचा था क्या निकला!!

जब से स्टार प्लस पर पृथ्वीराज चौहान शुरू हुआ था, उसकी फैन बन गयी थी। रोज ख्यालो मै खोयी रहती थी।

था भी चोकलेटी, नहीं? फिर वो लोग कहानी को किधर का किधर ले जाने लगे तो मैने सोचा विकी पर जाकर देखुं। पृथ्वी क्या था, कैसा था? पर कुछ खाश मसाला मिला नही।

फिर एक दिन बडे भैया ने कहीं से ई-बुक जुगाड दी। बोले लो पढो। अब पढ रही हुँ।

पर यहाँ तो कुछ और ही कहानी है। खाली लडाई और लडाई। लो अब तो पता चला सयुंक्ता के पहले भी जनाब के पास एक और थी।

और तो और अब तो स्टार पर भी पृथ्वी अपनी आंटी जैसी लगती सन्युक्ता या सयोंगिता के साथ प्यार श्यार कर रहा है। लव स्टोरी बना कर रखी है।

अब क्या करुं.. कया पडु। नोवल पढु कि सिरियल देखु। दोनो बोर….

हाय रे पृथ्वी…… 😦



et cetera